खिलौना देने के कुछ देर बाद जब वह बेटे के कमरे में गया तो देखा कि बच्चा रेलगाड़ी से खेल रहा है और कह रहा है कि जिस उल्लू के पट्ठे को उतरना है वो उतर जाए, जिस उल्लू के पट्ठे को चढ़ना है वो चढ़ जाए। रेलगाड़ी दो मिनट से ज्यादा नहीं रुकेगी। बच्चे के मुंह से यह भाषा सुनकर पठान को गुस्सा आ गया। उसने बच्चे को जोर से दो तमाचे लगाए और फिर कभी इस तरह से न बोलने की चेतावनी दी और बोला, "मैं दो घंटे के लिए बाजार जा रहा हूं। तब तक तुम सिर्फ पढ़ोगे, समझे।" दो घंटे बाद बाद जब पठान लौटकर आया तो बच्चे को पढ़ते हुए देखा। यह देखकर उसका दिल पसीज गया और उसने बच्चे को फिर रेलगाड़ी से खेलने की इजाजत दे दी। अबकी बार उसने बच्चे को कहते हुए सुना जिस उल्लू के पट्ठे को उतरना है वो उतर जाए, जिस उल्लू के पट्ठे को चढ़ना है वो चढ़ जाए। गाड़ी पहले ही एक उल्लू के पट्ठे की वजह से दो घंटे लेट हो चुकी है। |
देरी के लिए खेद
12:19 PM
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